अगर बच्चे मोबाइल के पीछे भागते हैं और बात-बात पर उनकी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की मांग से आप परेशान हैं तो प्रगति मैदान में आयोजित नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में उन्हें इस आदत से छुटकारा दिलाया जा सकता है। यहां वो खेल-खेल में गणित-विज्ञान और घड़ी देखना सीखेंगे और रंगों की पहचान भी कर पाएंगे। पजल गेम्स के जरिये इनके दिमाग का अभ्यास होगा और उसे तेजी मिलेगी।
मेले में तमाम ऐसी गतिविधियां हैं, जिनके जरिये बच्चे डूडल बनाना, कैलीग्राफी, हैंडराइटिंग जोन में लिखना, पपेट बनाना समेत अन्य दूसरी आर्ट-क्राफ्ट से जुड़े काम सीखेंगे। माहौल को हल्का करने के लिए जगह-जगह कार्टून करैक्टर भी हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट की तरफ से यहां खास तरह के शिक्षक भी बुलाए गए हैं, जो उन्हें इंटरेक्टिव गतिविधियों के बीच बच्चों को विज्ञान-गणित के करीब लेकर सिखाएंगे।
इस मंडप में हंसी-मजाक का नजारा भी है और खेल-खेल में गणित-विज्ञान का पिटारा भी। तरह-तरह के शैक्षणिक खिलौने भी यहां आए हैं। इनमें त्रिकोण, गोला और वर्ग की पहचान करने के लिए लकड़ी के खिलौने, ट्रिक पजल, फिशिंग रॉड के जरिये संख्या ज्ञान, लकड़ी से बने खिलौने हैं।
टास्क पूरा करने की कला भी सीखेंगे
इसमें बच्चे किसी टास्क को पूरा करने की कला भी खेल से ही सीखेंगे। घड़ी के टुकड़ों को जोड़कर उसका आकार बनाना और फिर घड़ी देखना सीखना, रेनबो (इंद्रधनुष) रंग की पहचान करने के लिए 2,000 से ज्यादा शैक्षणिक खिलौने एक छत के नीचे मौजूद हैं। किताबों के कवर से लेकर अंदर के पन्नों तक को तरह-तरह के क्रिएटिव कॉन्सेप्ट में तैयार किया है। एनिमेशन के इस्तेमाल से परी कथाएं, बच्चों में फेमस कार्टून कैरेक्टर वाली स्टोरी, फल, फूल, जानवरों, पक्षियों की जानकारी को पन्नों पर बनाया गया है।
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