‘उग हे सूरज देव, भइल भिनसरवा… अरघ के रे गेरवा, पूजन के रे बेरवा हो’… उत्तराखंड में छठ घाटों पर शुक्रवार भोर से ही हर किसी की जुबां पर यही गीत सुनाई दिया। छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। पहाड़ से मैदान त श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि की कामना की।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो गया। महिलाओं ने छठी मईया की पूजा कर सूर्य देवता की आरती की। चारों ओर छठी मईया और सूर्य देवता के जयकारों की गूंज रही।
छठ पूजा के लिए सुबह देवभूमि के घाट दीपों की रोशनी से जगमगा उठे। छठ व्रतियों ने रात तीन बजे से हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश समेत विभिन्न घाटों पर पहुंचना शुरू कर दिया।
व्रतियों ने सूर्य के उगने का इंतजार किया। इसके बाद सुबह सूर्य उदय होते ही अर्घ्य दिया। इस दौरान घाट पर शंख, घंटी बजाकर आरती की गई और एक दूसरे को ठेकुआ का प्रसाद वितरित किया।
इसके साथ ही उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने घर पहुंचकर कुलदेवता की पूजा की। इसके बाद प्रसाद खाकर 36 घंटे का निर्जला उपवास पूरा किया।
देहरादून में छठ महापर्व को लेकर सुरक्षा से लेकर हर पहलू पर खास इंतजाम किए गए हैं। छठ पूजा के लिए सभी घाटों पर सैकड़ों कार्यकर्ता तैनात हैं। वहीं, ऋषिकेश में छठ महापर्व पर त्रिवेणी घाट परपूर्वांचल समुदाय के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
+ There are no comments
Add yours