शहरी विकास मंत्रालय की ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर जारी रिपोर्ट में भले ही देहरादून नगर निगम प्रदेश में पहले स्थान पर है। साथ ही देशभर में भी निगम ने 13 अंकों का सुधार कर 69वीं रैंक हासिल की , लेकिन हकीकत यह है कि राजधानी के तमाम इलाकों में सफाई का स्तर वहीं है।
पहले की तरह ही सड़कों के किनारे, नदी, नालों और खाली स्थानों पर जहां-तहां कूड़े के ढेर नगर निगम की सफाई के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं, वहीं अफसर हैं कि दफ्तर में बैठकर कागजों में शहर को साफ कर रहे हैं। दरअसल, स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में देहरादून नगर निगम ने काफी सुधार किया है। सर्वेक्षण के नतीजे के बाद नगर निगम खूब इतरा रहा है।
मेयर से लेकर नगर आयुक्त अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन हकीकत क्या है, इसको जानने के लिए कोई सड़क पर नहीं उतर रहा है। दफ्तर में बैठकर कागजों में ही शहर को साफ-सुथरा किया जा रहा है। शहर के पुराने साठ वार्ड ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर बने नए वार्ड। हर वार्ड में सफाई व्यवस्था चरमरा रखी है।
शहर में तीन कंपनियां चेन्नई एमएसडब्ल्यू, सनलाइट मैसर्स व इकॉन घर-घर कूड़ा उठान में लगी हुई हैं। इसमें से चेन्नई एमएसडल्ब्यू 69 और सनलाइट और इकॉन 15-15 वार्ड में जिम्मा संभाले हुए हैं, लेकिन सड़कों पर पड़े कूड़े के ढेर बता रहे हैं, कि न तो घर-घर कूड़ा उठान का कार्य हो रहा और न ही सड़कों से कूड़ा उठान हो रहा है। ऐसे में नगर निगम की सफाई के दावों की पोल खुल रही है।
माजरा, तेलपुर, शिमला बाईपास रोड, बलवीर रोड, राजपुर रोड, नैशविला रोड, रायपुर रोड, चकराता रोड, निरंजनपुर रोड, कांवली रोड, पटेलनगर, तहसील चौक, हरिद्वार रोड, कारगी रोड समेत अधिकांश मोहल्लों और इलाकों में कूडे़ के ढेर निगम के दावों की पोल खोल रहे हैं।
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