मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने केन्द्र सरकार पर की टिप्पणी, कहा मोदी सरकार केवल बोलती है जनता के हित में कुछ भी करती नहीं

मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गयी हैं, लेकिन राज्य सरकार इस पर बिल्कुल नहीं चेत रही है। उन्होंने कहा है कि एक सामान्य परिवार अस्पताल का खर्चा कैसे उठाएगा , पर्वतीय राज्य है लगातार जंगली जानवरों का डर बना रहता है जिसपर सरकार ने कोई रूपरेखा तैयार नहीं की है। महर्षि ने कहा कि इस पर सरकार को विचार करना चाहिए , कांग्रेस पार्टी का का सरकार से ये आग्रह है कि इसपर रूपरेखा बनाए और स्वास्थ्य सुविधाओं को ठीक करे।

अपने वीडियो बयान में महर्षि ने गुप्तकाशी की घटना का उल्लेख किया है, उन्होंने कहा है कि एक महिला विनीता देवी अपने घर के पास खेतों में काम कर रही थी।जिस दौरान वहां पांच-छह बंदरों ने महिला पर हमला कर दिया। बंदरों के काटने से घबराई महिला अपने को बचाने के लिए दूसरे खेत में कूद गई। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। परिजन व अन्य लोग मौके पर पहुंचे और घायल को गुप्तकाशी अस्पताल लाए। जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार करके उसे जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग रेफर कर दिया। जिला अस्पताल से महिला को बेस अस्पताल श्रीनगर और वहां से एम्स रेफर किया गया।

मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने केन्द्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि मोदी सरकार केवल बोलती है जनता के हित में कुछ भी करती नहीं है। मीडिया को जारी एक बयान में महर्षि ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय 2013 में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाया गया था, और अब उसी को आधार बनाकर देश में प्रचंड रूप में आई कोरोना महामारी की आपदा के समय भारत सरकार ने 80 करोड़ लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने का काम किया और जनता के प्रकोप से बची। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर जब देश का नौजवान, गरीब, मजदूर लॉक डाउन के कारण औद्योगिक संस्थान बन्द होने के चलते बेरोजगार होकर खाली हाथ अपने गांव लौटा तो उसको उसी के गांव में रोजगार देकर रोकने का काम मनरेगा योजना ने किया जो कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई थी।

मुफ्त गैस सिलेण्डर योजना परन्तु आज लोगों के घरों में सिलेण्डर खाली पढ़े हैं क्योंकि रसोई गैस के दाम गरीब की पकड़ से बाहर हो गये हैं, घर-घर नल, घर-घर जल योजना शुरू तो की गई परन्तु नलों में पानी कहां से आयेगा ये सोचनीय विषय है। गरीबों के जन-धन खाते खोले गये परन्तु उनमें उल्टे बैलेंस की कमी के कारण लोगों द्वारा जमा किये गये धन में से कटौती हो रही है।

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