हिमालय दिवस की पूर्व संध्या पर ‘हिमालय एक चिन्तन व समाधान’ पर विचार गोष्ठी, उत्तरांचल उत्थान परिषद ने किया आयोजन, मुख्य अतिथि ऋतु खण्डूड़ी भूषण

देहरादून:-  उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर से हिमालय दिवस की पूर्व संध्या पर आई.आर.डी.टी.ऑडिटोरियम सर्वे चौक देहरादून में ‘हिमालय एक चिन्तन‌ व समाधान’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण के द्वारा दीप प्रज्वलित कर विचार गोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।  इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उत्तराखण्ड के पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, कार्यक्रम अध्यक्ष दूध विश्वविद्यालय देहरादून की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल, विशेषज्ञ वक्ता हेमवती नन्दन विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० मोहन पंवार, यूसर्क उत्तराखंड के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० भावतेश शर्मा एवं यूथ फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल अजय कोठियाल उपस्थित रहे एवं विचार गोष्ठी में व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन  कार्यक्रम संयोजक के संयोजक यशोदानन्द कोठियाल के द्वारा किया गया।  कार्यक्रम के प्रारम्भ में उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं सभी विशेषज्ञ वक्ताओं का शाल ओढ़ाकर तथा एक ब्रह्म कमल का पौधा एवं उत्तरांचल उत्थान परिषद का एक स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत व उन्हें सम्मानित किया गया ।

विचार गोष्ठी में उत्तरांचल उत्थान परिषद के महामंत्री राजेश थपलियाल के द्वारा उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर स्वागत सम्बोधन एवं परिषद के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्थान परिषद की ओर से मेरा गांव मेरा तीर्थ के ध्येय के साथ पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों से लोगों के आजीविका एवं अन्य दुश्वारियों के कारण लगातार खाली हो रहे गांवों में ही उपलब्ध स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों एवं सम्भावित उद्यमों पर आधारित सहकारिता या एकल उद्यम स्थापित करने हेतु लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु सहभागी बनकर कार्य करने की कार्ययोजनाओं पर विचार किया जा रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी ने अपने सम्बोधित करते हुए कहा कि हिमालय भारत का मुकुट ही नहीं बल्कि यह देश का प्रहरी के साथ – साथ हमारे जीवन के लिए हवा, पानी एवं भोजन का व्यवस्थापक हैं। सभी नदियों का उद्गम हिमालय के कारण है। हिमालय न केवल उत्तराखण्ड बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों का जीवन रक्षक है। उन्होंने उत्तराखण्ड के गांवों से लगातार हो रहे पलायन पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हमें उत्तराखण्ड के गांवों के लोगों की दैनिक जीवन की कठिनाइयां एवं उनकी आधारभूत आवश्यकताओं को नजदीक से समझकर उनके साथ मिल- बैठकर योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।।  हिमालय को बचाने की जिम्मेदारी केन्द्र, राज्य के साथ- साथ उत्तरांचल उत्थान परिषद जैसी लोगों की मदद एवं खुशहाली के लिए काम कर रही सामाजिक संस्थाओं एवं उत्तराखण्ड के शहरों एवं गांवों में निवास कर रहे लोगों की है।  उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड चीन एवं नेपाल देश की सीमाओं से लगा एक सीमान्त पर्वतीय राज्य है। इसलिए सामरिक दृष्टि से एक संवेदनशील राज्य भी है। यहां की भौगोलिक परिस्थितियां उत्तर प्रदेश एवं अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ही बिषम एवं विकट हैं।

लेकिन दूसरी ओर उत्तराखण्ड के पहाड़ों  में प्रचुर मात्रा में बन सम्पदा, जड़ी बूटियों, जैव‌ विविधता की उपलब्धता के साथ ही गंगा, यमुना, सरस्वती पवित्र नदियों के साथ-साथ गौला, काली गंगा एवं राम गंगा आदि अनेक स्थानीय नउद्गम स्थान भी है।अपने सम्बोधन में उन्होंने उत्तरांचल उत्थान परिषद के प्रयासों की प्रशंसा की तथा भविष्य में हर सम्भव सहयोग करने का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने उत्तराखण्ड के सामरिक, आध्यात्मिक एवं आर्थिक पहलुओं को रेखांकित करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि सामरिक दृष्टि से दो देशों की सीमा से लगा उत्तराखण्ड राज्य एक संवेदनशील क्षेत्र है।  प्राचीन काल से ही वर्तमान उत्तराखण्ड को आध्यात्मिक केन्द्र के रुप  में जाना जाता हे। प्रत्येक पर्वत एवं घाटी में आस्था के केन्द्र मंदिर या देवालय, निधियों के तट एवं संगम तीर्थ स्थल हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड में रोजगार की तलाश में सीमावर्ती गांवों एवं अन्य पर्वतीय क्षेत्र के गांवों से लोगों के पलायन को भविष्य में देश एवं प्रदेश के लिए गम्भीर खतरा बताया। उन्होंने यहां के लोगों की आर्थिकी को मजबूत करना ही पलायन की समस्या का निवारण बताया।

कार्यक्रम के विशेषज्ञ वक्ता भूगोल वेत्ता डॉ० मोहन पंवार, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० भावतेश शर्मा एवं यूथ फाउंडेशन के कर्नल अजय कोठियाल ने भी ‘हिमालय एक चिन्तन व समाधान’ विषय पर अपने सम्बोधन में विभिन्न समस्याओं के कारणों का उल्लेख करते हुए समाधान के सुझाव दिये। सभी ने सरकारी योजनाओं के धरातल पर अमल करने के लिए सामाजिक संस्थाओं एवं स्थानीय ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान में रखकर हिमालय को बचाने की योजनाएं बनाने पर बल दिया।

कार्यक्रम अध्यक्ष दून विश्वविद्यालय देहरादून की कुलपति डा० सुरेखा डंगवाल ने मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी, विशिष्ट अतिथि पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, विशेषज्ञ वक्ताओं, उत्तरांचल उत्थान परिषद के संरक्षक  प्रेम बुड़ाकोटी,  उपाध्यक्ष ऊषा रावत, महामंत्री राजेश थपलियाल, संयोजक यशोदा नन्द कोठियाल, मीडिया संयोजक नरेश चन्द्र कुलाश्री, अन्य सदस्य डीएन उनियाल, अवकाश प्राप्त मेजर महावीर सिंह रावत, विपुल जोशी, मनोज बिष्ट, राकेश राणा, प्रवीण राणा आदि अन्य सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं तथा कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य महानुभावों एवं छात्र-छात्राओं सहित सभी का कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया गया।

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