निर्दलीयों की भूमिका अहम, भाजपा और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी

उत्तराखंड के निकाय चुनाव में इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं। कई ऐसे निकाय हैं, जिनमें दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। वैसे तो 25 को प्रत्याशियों के मन की बात मतपेटी से निकलकर सामने आएगी लेकिन दोनों दल के नेता अपने-अपने हिसाब से जीत के दावे कर रहे हैं।
नगर निगम रुड़की, श्रीनगर, ऋषिकेश समेत कई नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों में भी इस बार मुकाबला दिलचस्प है। नगर पालिका मसूरी, नगर पालिका बाड़ाहाट उत्तरकाशी समेत कई नगर पालिकाओं में निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा-कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
कुमाऊं के भी कई निकायों में मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है। 2018 के चुनाव की बात करें तो 82 नगर निकायों में से 24 निकायों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। दो नगर निगमों कोटद्वार व ऋषिकेश में दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी थे। 39 में से 15 नगर पालिकाओं में निर्दलीय प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे।

38 नगर पंचायतों में से आठ में अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। पिरान कलियर, घनसाली, महुआ डाबरा हरिपुरा, देवप्रयाग, टिहरी ऐसे निकाय थे, जिनमें भाजपा-कांग्रेस नहीं बल्कि निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच हार-जीत हुई थी।

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