देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। पांच दिसंबर तक चलने वाले सत्र में कानून व्यवस्था से जुड़े अंकिता हत्याकांड और केदार भंडारी प्रकरण के अलावा उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा घोटाले पर हंगामा होने के आसार हैं।
प्रश्नकाल शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष ने अध्यक्ष से मांग की कि, ‘‘कार्य सूची में देखने से पता चला है कि विधायक सुमित और विधायक मयूख महर के लोक निर्माण विभाग से संबधित दो प्रश्न स्थगित कर दिए है।’’ उन्होंने कहा कि , इन प्रश्नों को केन्द्रीय विषय होने के आधार पर निरस्त किया गया है। यह कारण बताया गया है।
उन्होंने कहा कि , अध्यक्ष सड़क और परिवहन केन्द्रीय सूची के विषय नहीं बल्कि समवर्ती सूची का विषय है। याने सड़क के मामले में केन्द्र और सरकार की जिम्मेदारी होती है।
उन्होंने कहा कि , राज्य में इन सड़कों में से अधिकांश की निर्माण और रख-रखाव हमारे विभागों से किया जा रहा है और उन्हें केन्द्रीय विषय कहा जा रहा है। कल तो विभाग ये भी कहने लगेंगे कि केन्द्र पोषित योजनाओं के जबाब भी नहीं देंगे। नेता प्रतिपक्ष मंत्री सतपाल महाराज के जबाब से सन्तुष्ट नहीं हुए।
इस पर वरिष्ठ भाजपा विधायक मुन्ना सिंह ने बीच बचाव किया और कहा कि , यहां चर्चा के बजाय विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में चर्चा की जा सकती है। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष ने आपत्ति व्यक्त की। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , बहाने बना कर प्रश्नों का जबाब न देने की इस प्रवृत्ति पर रोक लगानी होगी। उन्होंने पीठ से विभागों को निर्देशित करने और आदेशित करने की मांग करते हुए विभागों को कठोर चेतावनी भी देने का निवेदन किया ताकि भविष्य में कोई अन्य विभाग प्रश्नों से बचने के लिए ऐसी कोशिश न कर सके।
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