देहरादून: उत्तराखंड के शमशेरगढ़ में गुरुवार को करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद गुलदार वन विभाग की गिरफ्त में आ गया। लगभग तीन महीने से रायपुर के कई इलाकों में गुलदार की दहशत बनी हुई थी। वन कर्मचारी ट्रैंकुलाइज कर गुलदार को ले गए। रायपुर क्षेत्र के शमशेरगढ़ स्थित सैनिक एन्क्लेव में सुबह लोग घरों में भैयादूज की तैयारी कर रहे थे। करीब पौने नौ बजे चरी के खेत में गुलदार नजर आया। यहां एक घर के पीछे युवक खेत में काम कर रहा था, जो गुलदार के हमले में बाल-बाल बचा। लोगों के शोर मचाने पर गुलदार झाड़ियों में छुप गया। सूचना पर रायपुर के फॉरेस्टर सरदार सिंह, रेंजर राकेश नेगी और एसडीओ मसूरी डॉ उदय गौड़ मौके पर पहुंचे। तलाशी के दौरान गुलदार गोदाम में छिपा मिला। वन विभाग की टीम ने उसे ट्रैंकुलाइज कर पकड़ लिया। रेंजर राकेश नेगी ने बताया कि यह दो साल की मादा गुलदार है। मेडिकल के बाद गुलदार को राजाजी टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा।
इस गुलदार को पकड़ने में स्थानीय लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई। जब गुलदार खेतों में चलता तो बड़ी-बड़ी चरी घास में हलचल नजर आती। इस पर छतों से लोग चिल्लाने लगते और कहने लगते-देखो वहां छिपा है गुलदार। इसी बीच, वन विभाग के कर्मचारी अलर्ट हो जाते। इसी तरह वहां लोग हर पल गुलदार पर नजर रख रहे थे। लोगों ने लाठी-डंडे और खुखरियां भी साथ रखी थीं। मालसी स्थित देहरादून जू के पशु चिकित्सक डॉ. प्रदीप मिश्रा ट्रैंकुलाइज गन के साथ मौके पर पहुंचे। शोरगुल होने पर गुलदार खाली पड़े गोदाम में प्लास्टिक के ड्रम की आड़ में छुप गया। जैसे ही वह नजर आया तो मिश्रा ट्रैंकुलाइज गन लेकर उसके काफी नजदीक पहुंच गए। उन्होंने सटीक निशाना लगाया और बेहोशी का इंजेक्शन गुलदार पर जा लगा, जिससे वह बेहोश हो गया।
स्थानीय लोगों का दावा है कि दिवाली की रात बालावाला में जो गुलदार दिखा, वो इस तरह का नहीं था। बालावाला में दिखा गुलदार पूरी तरह वयस्क है। इसकी पूंछ भी कुछ कटी हुई है। इतना ही नहीं, उसके साथ ही एक और वयस्क गुलदार आसपास देखा गया है। जबकि, पकड़ा गया गुलदार अभी दो साल का है। एसडीओ डॉ. उदय गौड़ ने बताया कि इन इलाकों में लगातार गश्त जारी है। आगे भी किसी भी सूचना पर वहां टीम को तत्काल भेजा जाएगा।
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