प्रदेश सरकार द्वारा नर्सिंग कॉलेज के मान्यता नियम शिथिल किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया है। सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित किए गए कॉलेज व छात्रों की तरफ से याचिका में इंटर विनर बनने आवेदन पेश किया गया। मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा 2023-24 को जीरो ईयर घोषित किए जाने के खिलाफ आवेदन दायर किया। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने सभी आवेदन पर फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए हैं। गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश सीबीआई को दिए गए थे। सीबीआई की तरफ से 308 कॉलेज की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की गई थी। सीबीआई ने बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 56 कॉलेजों की जांच पर स्थगन आदेश जारी किए हैं। सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कॉलेज पात्र पाए गए हैं। जबकि 74 नर्सिंग कॉलेज ऐसे पाए गए जो मानकों को तो पूरा नहीं करते हैं किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है तथा 65 कॉलेज अयोग्य पाए गए हैं। युगलपीठ ने अपने आदेश में अपात्र पाए गए कॉलेजों को किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया। इन कॉलेजों के छात्रों को किसी अन्य कॉलेजों में समायोजित नहीं किया जाएगा।
युगलपीठ ने अपने आदेश में मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों की खामियां दूर करने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आरके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि कमेटी सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर मानक पूरा नहीं करने वाले कॉलेजों को खामियां दूर करने समय प्रदान करेगी। निर्धारित समय अवधि के बाद कॉलेजों की रिपोर्ट व राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर खामियां दूर नहीं करने वाले कॉलेजों पर राज्य सरकार कार्रवाई करेगी। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि कमेटी मान्यता प्रणाली और संबंधित नियम को मजबूत करने तथा संस्थानों में सुधार के संबंध में अपने सुझाव दे सकते हैं। कॉलेजों को मान्यता देने के लिए निरीक्षण करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा के निर्देश भी कमेटी को दिए गए थे।
अयोग्य घोषित किए गए कॉलेज के छात्रों की तरफ से इंटर विनर बनने दायर किए गए आवेदन में कहा गया था कि नियमों की अनदेखी कर मान्यता प्रदान की गई थी। जिसकी सजा उन्हें नहीं मिलनी चाहिये। अयोग्य घोषित किए गए कॉलेजों की तरफ से कहा गया कि कमियों के संबंध में उन्हें कुछ नहीं बताया गया है। उन्हें कमियां बताई जाती हैं तो वह उन्हें दूर कर लेगे। अयोग्य घोषित किए गए कॉलेजों की तरफ से कहा गया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी ने साल 2023-24 को जीरो ईयर घोषित किया है। जीरो ईयर घोषित करने का अधिकार राज्य सरकार को है। याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका में संशोधन आवेदन पेश करने हुए नर्सिंग कॉलेज के मान्यता नियम को शिथिल करने वाले नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।
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