पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के करीबी रहे बीरेन्द्र कंडारी की प्रवर्तन निदेशालय ने 101 बीघा जमीन अटैच की है। सहसपुर क्षेत्र में स्थित इस जमीन की बाजारी कीमत करीब 70 करोड़ रुपये बताई जा रही है। हालांकि, पंजीकृत कीमत साढ़े छह करोड़ रुपये है। प्रवर्तन निदेशालय मामले में पिछले साल फरवरी से जांच कर रहा है।
ईडी से मिली जानकारी के अनुसार इस जमीन से संबंधित पुलिस थाना सहसपुर में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस पर ईडी ने भी जांच शुरू की तो पता चला कि जांच में सामने आया कि न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद, स्वर्गीय सुशीला रानी ने बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया के नाम पर सहसपुर स्थित जमीन की दो पावर ऑफ अटॉर्नी दर्ज कराए थे।
बीरेंद्र सिंह कंडारी ने इस जमीन को दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को बेहद कम कीमत पर बेच दिया। यह कीमत निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम थी। इन जमीनों का एक हिस्सा अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के पास है। यह संस्थान पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित होता है। इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन दीप्ति रावत हैं और इसे हरक सिंह रावत के परिवार करीबी नियंत्रित करते हैं।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, स्वर्गीय सुशीला रानी और अन्य के साथ मिलकर साजिश रचते हुए इस 101 बीघा जमीन को अपने नाम पर पंजीकृत कराया। प्रवर्तन निदेशालय ने इन तथ्यों के आधार पर लगभग 101 बीघा जमीन को अटैच करने का आदेश जारी किया है। अटैच की गई संपत्तियों में दो भूखंड शामिल हैं।
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