ऋषिकेश:- त्रिवेणी घाट पर अपने-अपने राम सत्र के तीसरे दिन डॉ. कुमार विश्वास ने जीवन में चुनौती के महत्व को समझाया। डॉ. विश्वास ने कहा कि रामायण चुनौतियों से बचना नहीं बल्कि चुनौतियों से आंख मिलाना सिखाती है। बृहस्पतिवार को त्रिवेणी घाट पर आयोजित अपने-अपने राम सत्र के दौरान डॉ. विश्वास ने कहा कि जीवन चुनौती मुक्त बन जाएगा तो जीवन नहीं रहेगा। यदि जीवन में चुनौती नहीं है तो जीवन व्यर्थ है। कहा, चुनौती ईश्वर की वह सबसे सुंदर पुत्री है जिसका हाथ ईश्वर सबसे सुयोग्य वर के हाथ में देता है।
विश्वास ने कहा कि यदि भगवान राम ने वनवास की चुनौती स्वीकार नहीं की होती तो अयोध्या को राजा तो मिल जाता लेकिन विश्व को पुरुषोत्तम राम नहीं मिलता। अयोध्यापति से जगतपति की यात्रा चुनौती स्वीकार करने से पूर्ण हुई। डॉ. विश्वास ने लोभ और महत्वाकांक्षा के बीच का अंतर समझाते हुए लोभ को दुनिया का सबसे खतरनाथ दलदल बताया। आज के युवाओं में बढ़ती अधीरता को आधुनिक युग की एक बड़ी समस्या बताते हुए युवाओं को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह भी दी। रामकथा के कई प्रसंगों का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी रामकथा प्रतीकों पर केंद्रित है।
रामकथा के प्रतीकों को समझना बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) माया है और इसका अस्तित्व हमारी संस्कृति में बहुत पहले से है। यदि युवाओं को मायावी और मायापति के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से पता होगा तभी वे एआई का सकारात्मक उपयोग कर पाएंगे। डॉ. कुमार विश्वास की रामकथा को सुनने के लिए हरिद्वार व देहरादून जैसे आसपास के स्थानों से लेकर दिल्ली, गुड़गांव, उज्जैन और चंडीगढ़ जैसे दूरस्थ स्थानों के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे।
+ There are no comments
Add yours