उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्ती के मामले में विवाद के बाद निकाले गए कर्मचारियों ने शनिवार को हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। हाईकोर्ट में विधानसभा में अपर निजी सचिव पद से बर्खास्त किए गए भूपेंद्र सिंह बिष्ट एवं अन्य कार्मिकों ने अपनी सेवा समाप्ति के आदेश को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। ये वे सभी कर्मचारी हैं जो वर्ष 2012 से 2017 के बीच के हैं। हाईकोर्ट ने विधानसभा से 14 अक्टूबर तक काउंटर एफीडेविट दाखिल करने को कहा है।
हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की सिंगल बेंच ने स्पीकर, विधानसभा सेक्रेटरी और उप सचिव को तबतक काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं । बर्खास्त तदर्थ कर्मचारियों ने अपनी याचिका में कहा है कि नया राज्य बनने के बाद विधानसभा में रिक्त पदों के सापेक्ष तदर्थ नियुक्तियां निर्धारित प्रक्रिया के तहत की गईं। याचिका में कहा गया है कि 2014 तक तदर्थ नियुक्त हुए अन्य कर्मचारियों को चार साल से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई लेकिन उन्हें छह वर्ष के बाद भी परमानेंट नहीं किया गया और अब अचानक उनकी सेवा ही समाप्त कर दी गई।
अपनी याचिका में इन बर्खास्त कर्मचारियों ने दलील दी है कि विधानसभा में राज्य सरकार की नियमावली लागू नहीं की जा रही है। इसके तहत छह माह की तदर्थ सेवा के बाद नियमित किए जाने का प्रावधान है। लिहाजा उन्होंने हाई कोर्ट से अपनी सेवा बहाली और नियमितीकरण की मांग की है। हाईकोर्ट में इन बर्खास्त कर्मचारियों की वकालत सीनियर वकील अवतार सिंह रावत कर रहे हैं। वहीं विधानसभा की तरफ से सीनियर वकील विजय भट्ट को अपना पक्ष रखने को अधिकृत किया गया है।
+ There are no comments
Add yours