इग्नू रोड से अपहरण, पुलिस ने रेपिडो बाइक से बंधक बने लड़कों के परिजनों से फिरौती दिलवाकर छुड़ाया

दक्षिण जिले में शुक्रवार रात को उस समय हड़कंप मच गया जब मैदानगढ़ी क्षेत्र के इग्नू रोड से उत्तर-पूर्व के दो लड़कों का अपहरण कर लिया गया। इन लड़कों को राजपुर खुर्द में एक मकान में बंधक बनाकर अपहरणकर्ताओं ने पीड़ित के परिजनों से तीन लाख की फिरौती मांगी। नेबसराय थाना ने सूझबूझ से काम लिया। एक पुलिसकर्मी रेपिडो मोटरसाइकिल चलाकर एक पीड़ित के भाई को साथ बैठाकर पैसे देने के बहाने ले गए। पुलिसकर्मी ने जैसे ही अपहरणकर्ताओं को जाल में फंसाया, पास में मौजूद पुलिस टीमों ने उनको दबोच लिया। दक्षिण जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त अचिन गर्ग और नाइट जीओ एसीपी हौजखास हरीश पी कुकरेती खुद रेड टीम के साथ रहे। नेबसराय पुलिस ने कड़ी मेहनत कर पीड़ित युवकों को साढ़े चार घंटे में मुक्त करा लिया। तीनों आरोपियों अमित, करण और आशुतोष के कब्जे से तीन किलो गांजा भी बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि अगर समय से पुलिस हरकत में नहीं आती तो आरोपी पीड़ितों की हत्या भी कर देते।

दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार दोनों पीड़ित हरीनगर आश्रम में रहते हैं और डिलीवरी बॉय का काम करते हैं। शुक्रवार शाम को मैदानगढ़ी थाना इलाके में इग्नू रोड पर जूतों की डिलीवरी देने गए थे। जब ये इग्नू रोड पर पहुंचे तो तीन आरोपी पैसे घर से देने की बात कहकर अपने साथ ले गए। उसके बाद राजपुर खुर्द में एक मकान में दोनों को बंधक बना लिया। पीड़ितों के परिजनों को रात को फिरौती की कॉल पहुंची तो उन्होंने दिल्ली पुलिस को रात 12 बजे सूचना दी। ये पीसीआर कॉल पहले सनलाइट कॉलोनी थाने, फिर मैदानगढ़ी थाना पुलिस को गई। उसके बाद कॉल नेबसराय थाने में पहुंची। नेबसराय थानाध्यक्ष राकेश डडवाल ने इसके लिए टीम गठित की।  करीब 18-20 वर्ष के दोनों पीड़ित नागालैंड के रहने वाले हैं।

अपहरणकर्ताओं ने एक पीड़ित के भाई विक्टर को बोला की वह पैसे लेकर रेपिडो मोटरसाइकिल से आए। उसके बाद थानाध्यक्ष राकेश डडवाल ने योजना बताई। उन्होंने एक रेपिडो बुक कराई। हवलदार योगेश ने रेपिडो चालक का हेलमेट व जैकेट ले ली और खुद मोटरसाइकिल चलाई। विक्कर को पिट़्ठू बैग देकर पीछे बैठाया। एक लिफाफे में नकली नोट का बंडल रखा। हवलदार योगेश रेपिडो चलाते हुए राजपुर खुर्द पहुंचा। इसके बाद दो अपहरणकर्ता पैसे लेने बाहर आ गए। पुलिसकर्मियों ने विक्टर को बोल दिया था कि जब हवलदार योगेश रेपिडो का किराया मांगे तो वह पहले 500 रुपये का नोट दे। जैसे ही उसने 500 रुपये का नोट दिया तो हवलदार ने बोला कि उसका किराया 65 रुपये बनता है और उसे खुले पैसे दें। इस पर एक अपहरणकर्ता हवलदार को 100 का नोट देने लगा तो हवलदार ने लेने से मना कर दिया। इस तरह अपहरणकर्ताओं को काफी देर तक उलझा कर रखा। इतनी देर में दूर खड़ी पुलिस टीमों ने दोनों अपहरणकर्ताओं को दबोचा।  आरोपी आशुतोष रेपिडो चलाता है। करण किसी कंपनी में ऑपरेटर की नौकरी करता है। अमित बेरोजगार है। तीनों नशा लेने के आदि हैं और इनके पास से तीन किलो गांजा बरामद किया गया है। आरोपियों ने ऐशोआराम की जिंदगी जीने के लिए अपहरण किया था।

 

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