देहरादून : वनंतरा प्रकरण में गिरफ्तार तीनों हत्यारोपितों का नार्को और पालीग्राफ टेस्ट कराया जाएगा या नहीं, इस पर कोटद्वार के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम की कोर्ट आज सोमवार को अपना निर्णय सुनाएगी।
अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरुगेशन ने बताया कि घटना की तह तक जाने के लिए एसआइटी ने पहले आरोपितों का सिर्फ नार्को टेस्ट करवाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब पालीग्राफ टेस्ट भी कराना चाहती है। इसकी अनुमति देने के लिए एसआइटी ने कोर्ट में पिछले दिनों प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर आज सुनवाई होगी।
असल में आरोपितों से कई बार पूछताछ करने के बाद भी पुलिस अब तक यह पता नहीं लगा पाई है कि वनंतरा रिसार्ट में काम करने वाली युवती की हत्या जब हुई, तब वहां आने वाला वीआइपी कौन था।
मृतक युवती और मुख्य आरोपित पुलकित का मोबाइल भी बरामद नहीं हो पाया है। इसके अलावा भी कई प्रश्न हैं, जिनका उत्तर प्रकरण की जांच कर रही एसआइटी को नहीं मिल पाया है। एसआइटी का कहना है कि आरोपितों के नार्को टेस्ट से ही पूरी सच्चाई सामने आ पाएगी।
इसके अलावा युवती का परिवार और न्याय की मांग कर रहे लोग भी आरोपितों का नार्को टेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं। इसीलिए एसआइटी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोपितों का नार्को टेस्ट कराने की अनुमति मांगी है।
इसके अलावा एसआइटी ने कोर्ट से आरोपितों का पालीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति देने का आग्रह भी किया गया है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि आरोपितों ने अब तक एसआइटी को जो बताया है, उसमें कितनी सच्चाई है।
वनंतरा रिसार्ट में काम करने वाली पौड़ी निवासी युवती की हत्या 18 सितंबर को ऋषिकेश स्थित चीला नहर में धक्का देकर कर दी गई थी। उसका शव 24 सितंबर को नहर से बरामद किया गया था। युवती की हत्या के आरोप में रिसार्ट के मालिक पुलकित आर्या और उसके दो साथियों सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। तीनों आरोपित अभी जेल में हैं।
पालीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। यह एक खास तकनीक है, जिसमें संबंधित शख्स से सवाल पूछे जाते हैं। जवाब देते समय व्यक्ति के शरीर के आंतरिक व्यवहार जैसे पल्स रेट, हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर आदि के माध्यम से मशीनों के जरिये पता लगाया जाता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ।
अपराध के कई मामलों में आरोपित के झूठ बोलने या बार-बार बयान बदलने से जांच में अड़चन आने लगती है। ऐसे में सच्चाई का पता लगाने के लिए आरोपित का नार्को टेस्ट करवाया जाता है।
जांच अधिकारियों का कहना है कि नार्को टेस्ट में सच उगलवाने की पूरी संभावना होती है। इसमें संबंधित को एक इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे वह अर्द्ध चेतना की अवस्था में पहुंच जाता है। इसके बाद उससे सवाल किए जाते हैं।
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