मेरठ में दुष्कर्म पीड़िता किशोरी को सीएचसी परिसर में उपचार के अभाव में बच्चे को जन्म देने के मामले में जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम ने डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही मानी है। एडीएम वित्त सूर्यकांत त्रिपाठी ने डीएम को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। डीएम दीपक मीणा ने सीएमओ को पत्र लिखकर डॉक्टर पर कार्रवाई कराने की बात कही है। सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने डॉ. सरित तोमर और एक स्टाफ नर्स को सीएचसी से हटा दिया है। डॉक्टर को मुख्यालय से और नर्स को दूसरी सीएचसी से अटैच किया गया है।
सरधना क्षेत्र के एक गांव निवासी 13 वर्षीय किशोरी से दो बच्चों का बाप ने आठ माह तक दुष्कर्म किया। इसके चलते किशोरी गर्भवती हो गई। शुक्रवार को गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता की हालत बिगड़ने पर परिजन सरधना सीएचसी में लेकर पहुंचे। जहां पर करीब डेढ़ घंटे तक पीड़िता दर्द से तड़पती रही, लेकिन स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कोई सुुध नहीं ली। प्रसव पीड़ा बढ़ने पर गर्भवती किशोरी ने सीएचसी परिसर में बेंच पर ही बच्चे जन्म दे दिया।
इस बड़ी लापरवाही के मामले में डीएम दीपक मीणा ने तीन सदस्यों की जांच टीम गठित की। एडीएम वित्त सूर्यकांत त्रिपाठी, एसीएमओ डॉ. प्रवीण कुमार, एसीएम चतुर्थ रश्मि बरनवाल ने सरधना सीएचसी पहुंच कर जांच की। सोमवार को टीम ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी। इसमें सीएचसी के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही मानी। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि गर्भवती किशोरी करीब डेढ़ घंटे परिसर में बेंच पर रही तड़पती रही, लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने कोई सुध नहीं ली।
सीएमओ ने महानिदेशक चिकित्सा-स्वास्थ्य को लिखा पत्र
सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने बताया कि चिकित्सक और स्टाफ नर्स को सीएचसी से हटाने के अलावा और कार्रवाई के लिए महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र लिखा है। आगे की कार्रवाई उनके निर्देश पर की जाएगी।
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