नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने जीएसटी को लेकर राज्य के नुकसान पर कई सवाल उठाए हैं। जीएसटी को लेकर जारी अपने मीडिया नोट में नेता प्रतिपक्ष ने विस्तार से स्थिति को बिंदुवार उठाया है। यशपाल आर्य ने कहा है कि भारत में कर संग्रह की जीएसटी (Goods and Service tax) व्यवस्था लागू होने के बाद सभी राज्यों को पहले की कर व्यवस्था की तुलना में राजस्व संग्रह में नुकसान हुआ है , परंतु यह नुकसान उत्तराखंड जैसे छोटे और उत्पादन की तुलना में बहुत ही कम खपत करने वाले राज्यों को बहुत अधिक हुआ है। यदि जल्दी जीएसटी से मिलने वाले राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी नही बड़ाई गयी या फिर केंद्र सरकार राज्यों को मिलने वाली जीएसटी प्रतिपूर्ति को आने वाले कुछ सालों तक के लिए न देती रहे तो उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों को आर्थिक रूप से गर्त में जाने से कोई नहीं बचा सकता है।
जीएसटी टैक्स प्रणाली और उत्तराखण्ड राज्य की बिडम्बना का बताते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि , ‘‘ राज्य की भाजपा सरकार की मजबूरी है कि भले ही प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र भेजते समय जीएसटी से उत्तराखंड को होने वाले नुकसानों को तो गिनाते हैं परंतु उत्तराखंड सहित सभी राज्यों को नुकसान करने वाली जीएसटी टैक्स प्रणाली का न तो खुलकर विरोध कर पा रही है न इसके पुनर्गठन की मांग करने वाले राज्यों के साथ सम्मिलित हो पा रही है। ’’
यशपाल आर्य ने कहा कि , राज्य निर्माण के समय राज्य का कर आधारित राजस्व केवल 322 करोड़ रुपए था जो जीएसटी लागू होने से पहले राज्य के निवासियों , कर्मचारियों और अधिकारियों की मेहनत से 2016-17 में 31 गुणा बढ़कर 7143 करोड़ रुपये हो गया था। अलग राज्य निर्माण के बाद से जीएसटी लागू होने तक उत्तराखंड देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक था जंहा हर साल कर से मिलने वाले राजस्व संग्रह की दर बहुत अच्छी थी लेकिन 2016-17 में जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड में करों से मिलने वाले राजस्व में भारी कमी आयी है। यदि राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को प्रस्तुत किये आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो , स्टेट जीएसटी के सेटलमेंट के बाद भी 2017-18 में संरक्षित राजस्व 44 प्रतिशत घटा था जो आने वाले सालों में 51 प्रतिशत तक कम रहते हुए 2021-22 में 45 प्रतिशत कम रहा है। यदि इस नुकसान को रुपयों में देखा जाए तो यह हजारों करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बताया कि, कांग्रेस सरकार के समय राज्य में कई औद्योगिक उत्पादन इकाइयां लगी जो आज 58000 के लगभग हैं । जीएसटी लागू होने से पहले वैट टैक्स प्रणाली के समय राज्य को इन उत्पादन और औधोगिक इकाइयों से हर साल हजारों करोड़ टैक्स मिलता था । परंतु अब क्योंकि जीएसटी टैक्स प्रणाली में टैक्स उत्पादन या निर्माण होने वाले स्थान के बजाय उपभोग करने वाले स्थान पर लगता है। आर्य ने कहा कि , उत्तराखंड में भले ही फैक्टरियों में बहुत अधिक उत्पादन हो रहा हो लेकिन राज्य में कम खपत या उपभोग होने के कारण टैक्स का फायदा उन राज्यों को हो रहा है जहां उत्तराखण्ड में निर्मित वस्तुऐं जा रही हैं और उनका खपत हो रहा है। उत्तराखण्ड को वैट समाप्त करने के कारण पहले की तुलना में 34.5 प्रतिशत के राजस्व का नुकसान हो रहा है , जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह नुकसान केवल 8 प्रतिशत का है। यह नुकसान भी हजारों करोड़ का है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार जीएसटी लागू होने के बाद गुड्स और सेवा कर से भी राज्य के कुल राजस्व का केवल 7 प्रतिशत हिस्सा ही आ रहा है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 17.88 प्रतिशत का है। उन्होंने आरोप लगाया कि , राज्य सरकार ने ही जीएसटी लागू होने से पहले 2000- 2001 से लेकर 2016-17 को आधार मानकर गणना की है कि , ‘‘ यदि वैट जारी रहता तो 2021-22 में ही जीएसटी की तुलना में ही 8115 करोड़ नुकसान की गणना की है। ’’
आर्य ने बताया कि , केंद्र सरकार ने 2017 – 18 में जीएसटी लागू करने के बाद जीएसटी के कारण घाटे की जद में आ रहे राज्यों के लिए आगामी पांच वर्षों तक प्रतिपूर्ति की व्यवस्था लागू की थी। यह अवधि 30 जून को समाप्त हो गयी है। 29 जून को चंडीगढ़ में संपन्न जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्रतिपूर्ति के मामले में कोई निर्णय नहीं हो सका। हाल ही में राज्य सरकार ने केंद्र को अवगत कराया है कि , जीएसटी से उत्तराखंड जैसे राज्य को ही सीधे-सीधे 4868 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है।यह सारा नुकसान केंद्र सरकार द्वारा बिना सोचे- समझे राज्यों पर जीएसटी थोपने के कारण हुआ है और अब केंद्र सरकार अपनी गलती के कारण राज्यों पर पड़ने वाले इस बोझ को ढोने को राजी नहीं है।’’आर्य ने कहा कि , ‘‘ उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्य की मजबूरी है कि, भले ही उत्तराखंड सरकार मुआवजे या प्रतिपूर्ति की मांग करते हुए केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले हर पत्र में जीएसटी की तमाम खामियों को गिना रही हो परंतु सार्वजनिक रूप से उसे भाजपा की केंद्र सरकार की इस ऐतिहासिक देन जीएसटी की तारीफ ही करनी पड़ रही है । आर्य ने साफ किया कि , यदि केंद्र सरकार ने सीमित संसाधनों वाले उत्तराखंड राज्य के प्रति उदार रुख नहीं दिखाया तो अगले पांच साल में उत्तराखंड को 25 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि , जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद जिन राज्यों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है उसने उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है , उत्तराखंड के विकास के लिए ये बेहद चिंतनीय है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि , ‘‘ यही हालत रहे तो राज्य के वित्तीय प्रबंधन को संभालना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। ’’
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि, राज्य में मुख्य विपक्षी दल होने के नाते राज्य की अच्छी आर्थिक स्थिति के लिए कांग्रेस माँग करती है कि , केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी से राजस्व को समान रूप से विभाजित करने के मौजूदा फॉर्मूले को बदला जाना चाहिए , जिसमें राज्य को 70-80 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि , ‘‘ यदि केंद्र सरकार जीएसटी राजस्व की हिस्सेदारी का मानक नही बदलती है तो उसे जीएसटी क्षति प्रतिपूर्ति की व्यवस्था को आने वाले पांच सालों के लिए बढ़ाना चाहिए। ’
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